Magazine
- Home /
- May 2021
Index
Toppers Talk
Polity
- क्या चुनाव अभियानों को वर्चुअल बनाया जाना चाहिए?
- लोक अदालतों के प्रदर्शन को लेकर उनका विश्लेषण
- भारतीय संघवाद और COVID-19 महामारी प्रबंधन पर इसका प्रभाव
- अध्यादेश क्या है अध्यादेशों की पुन: घोषणा संविधान की भावना का उल्लंघन करती है?
- लिव इन रिलेशनशिप नैतिक, सामाजिक रूप से अस्वीकार्य हैं: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय
- पश्चिम बंगाल सरकार विधान परिषद की करेगी स्थापना - विधान परिषद के फायदे और नुकसान
Indian Society
Governance & Social Justice
- COVID 19 महामारी के बीच छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन का मूल्यांकन, यूपीएससी जीएस पेपर- 2 शिक्षा
- 2025 तक चीन से भी आगे निकलकर भारत बन जाएगा सबसे बड़ी आबादी वाला देश- चीन की आबादी में गिरावट
- कोविड 19 के कारण हुए अनाथ बच्चों की सुरक्षा पर स्मृति ईरानी
- अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के जीवन और आजीविका पर लॉकडाउन का प्रभाव
- डूम्सडे स्क्रॉलिंग या सर्फिंग क्या है? मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण पर डूम्सडे सर्फिंग का प्रभाव?
International Relations
- इजरायल बनाम सीरिया - मध्य पूर्व लगातार युद्ध जैसी स्थिति में क्यों है?
- भारत पाकिस्तान बैकचैनल डिप्लोमेसी
- डिजिटल डाटा क्रांति और नई वैश्विक व्यवस्था - एक हाइपर-कनेक्टेड दुनिया में भारत की भूमिका
- इंडियन स्टील इंडस्ट्री पर COVID-19 का प्रभाव
- क्यों यूनाइटेड किंगडम इंडो पैसिफिक की ओर क्यों झुक रहा है?
- इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष एक पूर्ण पैमाने पर युद्ध की ओर बढ़ रहा है, संयुक्त राष्ट्र ने दी चेतावनी
- BIMSTEC के लिए पुनर्विचार की आवश्यकता क्यों है? भारत और पड़ोसी देश
- यूके ने भारत को G7 समिट 2021 में आमंत्रित किया - G7 के लिए भारत क्यों महत्वपूर्ण है?
- भारत की विदेश नीति पर कोविड 19 का प्रभाव
- केपी शर्मा ओली फिर बने नेपाल के प्रधान मंत्री - बहुमत हासिल करने में विफल रहे विपक्षी दल
- राजनयिक उन्मुक्ति (Diplomatic Immunity) क्या है? दक्षिण कोरिया में बेल्जियम के राजदूत की पत्नी ने दुकानदार को मारा थप्पड़
- स्थाई मध्यस्थता न्यायालय- संरचना, कार्य और सदस्य - पीसीए, आईसीजे और आईसीसी में अंतर
Economy
- एलन मस्क की टेस्ला नहीं करेगी क्रिप्टोकरेंसी को स्वीकार- बिटकॉइन में 17 फीसदी गिरावट
- रिकॉर्ड 1.41 लाख करोड़ रुपये से अधिक GST संग्रह
- कोविड 19 वैक्सीन पेटेंट छूट - क्या यह वैश्विक वैक्सीन की कमी की समस्या को हल कर सकता है?
- ममता बनर्जी बनाम CBI- क्या है नरादा रिश्वत मामला?
- आरबीआई ने केंद्र को अधिशेष के रूप में 99,122 करोड़ रुपये के हस्तांतरण को दी मंजूरी
- इंडियन स्टील इंडस्ट्री पर COVID-19 का प्रभाव
Defence & Security
- आईएसआईएस बम ब्लास्ट में मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद घायल
- साइबर युद्ध और जैव युद्ध की व्याख्या - आधुनिक युद्ध और पारंपरिक युद्ध में अंतर
- जम्मू और कश्मीर पुलिस ने मुठभेड़ों की LIVE कवरेज पर प्रतिबंध लगाया - प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रभाव?
- क्या है हवाना सिंड्रोम जिससे 130 अमेरिकी अधिकारियों में नई रहस्यमयी मानसिक बीमारी देखने को मिल रही है?
- गैर-राज्य अभिकर्ता (Non State Actors) क्या हैं? अंतरराष्ट्रीय संबंधों में गैर-राज्य अभिकर्ताओं की भूमिका और प्रभाव
- भारत में पुलिस मुठभेड़- कानून के नियम बनाम पुलिस प्रभाव
Disaster Management
- असम में आया 6.4 तीव्रता का भूकंप - उत्तर पूर्व भारत में लगातार भूकंप का खतरा क्यों बना रहता है?
- इजराइल के धार्मिक त्योहार की भगदड़ में 44 ने गंवाई जान और 100 से अधिक घायल
- कोविड 19 के कारण हुए अनाथ बच्चों की सुरक्षा पर स्मृति ईरानी
- असम में बिजली गिरने से 18 हाथियों की मौत - क्या यह वैज्ञानिक रूप से संभव है?
- चक्रवात तौकते अलग क्यों है? क्या जलवायु परिवर्तन अरब सागर में ज्यादा खतरनाक चक्रवात बना रहा है?
Science & Technology
Environment
- वन संरक्षण अधिनियम और MoEF&CC द्वारा प्रस्तावित संशोधन
- वित्तीय फर्मों के लिए न्यूजीलैंड का जलवायु परिवर्तन कानून
- ईकोसाइड (Ecocide ) क्या है? फ्रांसीसी नेशनल असेंबली ने हाल ही में “इकोसाइड” को अपराध बनाने वाले बिल को मंजूरी दी
- भारत में COVID-19 वैक्सीन वेस्टेज, केरल ने COVID वैक्सीन को कैसे किया जीरो वेस्टेज?
- भारत में पहली बार 8 एशियाई शेरों का हैदराबाद चिड़ियाघर में हुआ कोविड परीक्षण - जानवरों में कोविड से लड़ाई
- कैसे वैश्विक खाद्य अपशिष्ट हमारे ग्रह को प्रभावित कर रहा है?
- सुंदरलाल बहुगुणा - चिपको आंदोलन के प्रणेता और प्रसिद्ध पर्यावरणविद् का Covid-19 से निधन
Prelims bits
Prelims Capsule

प्रासंगिकता
- जीएस 2||अंतरराष्ट्रीय संबंध ||भारत और बाकि दुनिया||पश्चिम एशिया
सुर्खियों में क्यों?
हाल ही में यहुदी राष्ट्रवादियों द्वारा ‘यरुशलम दिवस’ मनाने को लेकर हुए विवाद के बाद इजरायली सशस्त्र बलों ने हाल ही में यरुशलम के हराम एश-शरीफ में अल-अक्सा मस्जिद को निशाना बनाया।
पृष्ठभूमि
- इजरायल-फिलिस्तीन विवाद को अक्सर ‘दुनिया के सबसे कठिन संघर्ष’ के रूप में देखा जाता है। इस विवाद की पूरी जड़ यरुशलम है, जिसे यहुदियों द्वारा बाइबिल के जन्मसिद्ध अधिकार के रूप में दावा किया जाता है, तो वहीं फिलिस्तिनी यरुशल की स्वाधीनता (self-determination) की मांग कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच संघर्ष को समाप्त करने के लिए बार-बार प्रयास करने के बावजूद भी कोई शांति समझौता नहीं दिख रहा है।
- हालांकि, यहूदी और अरब मुसलमानों दोनों ने हजारों वर्षों से भूमि पर दावा किया है, वर्तमान राजनीतिक विवाद बीसवीं शताब्दी की शुरुआत से है।
हालिया संघर्ष
- इजरायल ने गाजा से संचालित होने वाले हमास के खिलाफ अत्यधिक बल प्रयोग किया है।
- हमास का व्यवहार फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अध्यक्ष मुहम्मद अब्बास के साथ बढ़ते असंतोष को दर्शाता है, जो वेस्ट बैंक के रामल्लाह में स्थित है।
- अरब मुस्लिम इजरायल की आबादी का 20% हिस्सा हैं। वे भी अब इस्लाम के तीसरे सबसे पवित्र धर्मस्थल के रूप में माने जाने वाले अल-अक्सा मस्जिद पर हुए हमले के बाद अलग-थलग पड़ गए हैं।
- यह संघर्ष इजरायल की राजनीतिक स्थिति को उथल-पुथल कर गृहयुद्ध का कारण बन सकता है।
- मस्जिद के हमले ने इस्लामी आतंकवादियों को दुनिया के अन्य हिस्सों में हमलों का आह्वान करने के लिए एक प्रोत्साहन प्रदान किया है।
संघर्ष का इतिहास
- एक सदी पुराना संघर्ष
- इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष 20वीं सदी के मध्य से चला आ रहा संघर्ष है।
- जॉर्डन नदी और भूमध्य सागर के बीच इस भूमि के एक टुकड़े को लेकर यहूदियों और अरबों के बीच 100 से अधिक वर्षों से संघर्ष चल रहा है।
- साइक्स-पिकाट समझौते (ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस के बीच एक गुप्त समझौता) में 1916 तक ब्रिटिश शासन के तहत ये जगह फिलिस्तीन के अंतर्गत आती थी। तुर्क साम्राज्य के विभाजन के बाद यह जगह बनी थी।
- बाल्फोर घोषणा
- ब्रिटिश विदेश सचिव जेम्स बालफोर, ने बाल्फोर घोषणा के माध्यम से एक यहूदी मातृभूमि के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध किया।
- जर्मनी में नाजीवाद
- 1930 के दशक में जर्मनी में नाजियों के सत्ता में आने के बाद, यहूदियों का फिलिस्तीन में प्रवास नाटकीय रूप से तेजी से देखने को मिला। इस दौरान हजारों की संख्या में यहूदियों को यूरोप से फिलिस्तीन में बसना पड़ा।
- अरबों ने इसे अपने देश के लिए एक खतरे के रूप में देखा और इसका पुरजोर मुकाबला किया। जैसे ही ब्रिटिश सरकार स्थिति से अपने आप को अलग कर दिया तब हिंसा अपने चरम पर पहुंच गई।
- ब्रिटिश सरकार ने 1947 में फिलिस्तीन के भविष्य के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में संदर्भित किया। संयुक्त राष्ट्र ने भूमि को दो देशों में विभाजित करने के लिए मतदान किया।
- अल-नकबा, या “तबाही,
- समझौते को यहूदी लोगों ने स्वीकार कर और अपने आजादी की घोषणा कर दी। इसके बाद अरबों पर इजरायली सेना ने हमला बोल दिया।
- इसके परिणामस्वरूप हजारों फिलिस्तीनियों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
- इस घटना का नाम अल-नकबा, या “तबाही,” दिया गया था।
- इसके बाद इस क्षेत्र पर इस्राइल का पूर्ण नियंत्रण हो गया।
- जॉर्डन- इजरायल युद्ध
- उसके बाद इजरायल के साथ जॉर्डन ने युद्ध लड़ा और वेस्ट बैंक को अपने कब्जे में ले लिया। वहीं, मिस्र ने गाजा को अपने कब्जे में ले लिया।
- यरूशलम का विभाजन
- अब तक यरूशलम दो हिस्सों में बंटा हुआ था, एक पश्चिम में और दूसरा पूर्व में। हालांकि, इस दौरान ऐसी कोई औपचारिक शांति संधि नहीं बन पायी और जिसके बाद प्रत्येक पक्ष उस पर अपने हक का दावा करता रहा, जिसका नतीजा आगे जाकर एक और युद्ध के रूप में निकला।
- इजरायल ने इस बार युद्ध पूरे जोर से लड़ा और 1967 में छह दिन तक चले युद्ध में इजरायली सेना ने पूर्वी यरुशलम और वेस्ट बैंक के साथ-साथ सीरिया के गोलन हाइट्स, गाजा और मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप के विभिन्न हिस्सों पर कब्जे में ले लिया।
- फिलिस्तीनी शरणार्थी और परिवार उस समय गाजा और वेस्ट बैंक के साथ-साथ जॉर्डन, सीरिया और लेबनान के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहते थे।
फिलिस्तीन का दावा
- फिलस्तीन चाहता है कि इजरायल 1967 से पहले की सीमाओं से हट जाए और वेस्ट बैंक और गाजा में एक आजाद फिलिस्तीन राज्य की स्थापना की जाए।
- शांति वार्ता में आने से पहले इजरायल को बस्तियों के सभी विस्तार को रोक देना चाहिए।
- फिलिस्तीन चाहता है कि 1948 में जिन फिलिस्तीनियों को अपना घर छोड़ना पड़ा उन शरणार्थी वापस बसाया जाए।
- फिलिस्तीन पूर्वी यरुशलम को स्वतंत्र फिलिस्तीन राज्य की राजधानी बनाना चाहता है।
इजरायल का दावा
यरुशलम पर संप्रभुता।
- इजरायल को यहूदी राज्य के रूप में मान्यता।
- इजरायल दुनिया का एकमात्र देश है जो एक धार्मिक समुदाय के लिए बनाया गया है।
- इजरायल कहता है कि फिलिस्तीन के शरणार्थियों की वापसी का अधिकार केवल फिलिस्तीन को न कि इजरायल को।
इजरायल फिलिस्तीन शांति प्रक्रिया
- अमेरिका ने कैंप डेविड समझौते (1978) के लिए अपना जोर लगाया था, जिसमें ‘फिलिस्तीन समस्या’ का हल निकालने के लिए इजरायल और उसके पड़ोसी देशों को राजी किया गया, लेकिन इसका कोई ठोस नतीज नहीं निकल पाया।
- 1993 में अमेरिका द्वारा ओस्लो समझौते की मध्यस्थता भी की गई थी। इसके तहत, इजरायल और पीएलओ आधिकारिक तौर पर एक-दूसरे को पहचानने और हिंसा के उपयोग को त्यागने के लिए सहमत हुए। यह इजरायल पर किसी भी प्रकार के हमले को समाप्त करने के लिए फिलिस्तीनियों द्वारा एक समझौते के बदले गाजा और वेस्ट बैंक में एक फिलिस्तीनी राज्य का निर्माण करेगा।
- उन्होंने गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों में फिलिस्तीनी सत्ता को सीमित स्वायत्तता दी।
- हालांकि, दोनों राज्यों को ओस्लो समझौते के प्रावधानों पर सहमत होना बाकी है।
अमेरिका का रुख
- अमेरिका इजरायल-फिलिस्तीन में मध्यस्थ के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हालांकि, एक मध्यस्थ के रूप में इसकी विश्वसनीयता पर
- फिलिस्तीनियों द्वारा लंबे समय से सवाल उठाया गया था।
- ओआईसी (इस्लामी सहयोग संगठन) और अन्य अरब संगठनों द्वारा अमेरिका की आलोचना की गई है, क्योंकि सुरक्षा परिषद में अमेरिका ने वीटो का इस्तेमाल कर हालातों फिर से वहीं पर खड़ा कर दिया।
- अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने दोहराया है कि इजरायल को आत्मरक्षा का अधिकार है और संघर्ष को जल्द से जल्द सुलझाना चाहिए।
वीटो पावर का प्रयोग
- अमेरिका ने इस विषय पर किसी भी बहस को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल किया है, हालांकि 15 में से 14 सदस्यों ने तत्काल बैठक बुलाई है।
- अमेरिका में डेमोक्रेटिक सांसदों के एक समूह का दावा है कि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हिंसा को बढ़ाने का काम किया है। सांसदों ने बाइडन पर दबाव बनाया है ताकि जल्द से जल्द हिंसा को रोका सके।
- यह, इजरायल की राजनीतिक अस्थिरता के साथ, गृहयुद्ध का परिणाम हो सकता है।
- मस्जिद के हमले ने इस्लामी आतंकवादियों द्वारा दुनिया के अन्य हिस्सों में हमलों के आह्वान को भी हवा दी है।
इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष पर भारत का रुख
- भारत लगातार फिलीस्तीनी मुद्दे का समर्थन करता रहा है।
- भारत पहला गैर-अरब राज्य था जिसने 1974 में फ़िलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) को फ़िलिस्तीनी लोगों के एकमात्र और वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता दी थी।
- इसके अलावा, भारत 1988 में फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था।
- 1996 में भारत ने गाजा में फिलिस्तीन प्राधिकरण के लिए अपना प्रतिनिधि कार्यालय खोला, जिसे बाद में 2003 में रामल्लाह (वेस्ट बैंक) में स्थानांतरित कर दिया गया।
- वर्तमान में, भारत इजरायल-फिलिस्तीनी मुद्दे के दो-राज्य समाधान का समर्थन करता है।
- लिंक वेस्ट पॉलिसी के तहत भारत ने 2018 से इजरायल और फिलिस्तीन के साथ अपने मधुर संबंध स्थापित करने की कोशिश कर रहा है।
- भारत के अनुसार, दोनों के बीच के मुद्दों को सीधी बातचीत के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए और समाधान दोनों को स्वीकार्य होना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र मध्यस्थता
- इजरायल द्वारा वेस्ट बैंक पर कब्जा करने के बाद इजरायली सेना को यूएन की मध्यस्थता के बाद गाजा से बाहर निकाल दिया गया।
- इजरायल का कहना है कि पूरा यरुशलम उसकी राजधानी है जबकि फिलिस्तीनियों का कहना है कि यरुशलम का पूर्व हिस्सा उनका है।इजरायल फिलिस्तीन संघर्ष का समाधान
- दो-राज्य समाधान
- इस समाधान के तहत यह एक संप्रभु इजरायल और फिलिस्तीन का निर्माण करेगा। यह फिलिस्तीन को गाजा और अधिकांश वेस्ट बैंक में एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित करेगा, शेष भूमि को इजरायल के लिए छोड़ दि जाएगा।
- दूसरे, यह दशकों से अंतरराष्ट्रीय समुदाय का लक्ष्य रहा है, जो 1947 की संयुक्त राष्ट्र विभाजन योजना से जुड़ा है।
- तीसरा, यह फिलिस्तीनी और इजराइली भूमि को विभाजित करने के लिए 1967 की सीमांकन रेखा की पहचान करेगा जिसे ग्रीन लाइन के रूप में जाना जाता है। यह यरुशलम को भी दो राज्यों के बीच विभाजित करेगा।
- एक राज्य समाधान
- इसके अंतर्गत वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी को एक बड़े इजरायल को मिला जाएगा।
- इसके दो वर्जन है, एक- कुछ वामपंथियों और फिलिस्तीनियों के पक्ष में, जो एकल लोकतांत्रिक देश का निर्माण करेगा। इसमें अरब मुसलमान यहूदियों से आगे निकल जाएंगे, इस प्रकार यहूदी राज्य के रूप में इजरायल की स्थिति समाप्त हो जाएगी।
- अन्य संस्करण, कुछ दक्षिणपंथियों और इजराइलियों के पक्ष में, इजरायल को वेस्ट बैंक पर कब्जा करना और फिलिस्तीनियों को मजबूर करना या उन्हें वोट देने के अधिकार से वंचित करना शामिल होगा।
संबंधित घटनाक्रम
- मार्च 2021 में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने इजरायल (वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी) के कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में युद्ध अपराधों की जांच शुरू की।
- अप्रैल 2021 में अमेरिका ने फिलिस्तीनियों को कम से कम 235 मिलियन अमरीकी डालर की वित्तीय सहायता बहाल की।
निष्कर्ष
- इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष का समाधान अभी भी दूर की कौड़ी लग रही है। भारत द्वारा सुझाए गए अनुसार दोनों देशों के बीच शांति वार्ता और संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रस्तावित दो-राज्य समाधान पर आगे की बातचीत ही आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका है।
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दोनों राज्यों के बीच शांति स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए। इसके अलावा किसी भी सफल शांति पहल के लिए उन चार मुख्य मुद्दों को हल करने की आवश्यकता होगी, जिनमें वेस्ट बैंक की सीमाएं / बस्तियां, इजरायली सुरक्षा, फिलिस्तीनी शरणार्थी और यरुशलम होंगे।
प्रश्न
- अरब लीग की स्थापना के उद्देश्यों की चर्चा कीजिए और अरब राष्ट्रों के हितों की रक्षा में इसकी भूमिका का आकलन कीजिए।