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प्रासंगिकता:
जीएस 2 II शासन और सामाजिक न्याय II शासन के अन्य पहलू II सार्वजनिक क्षेत्र के सुधार
विषय: केंद्र द्वारा प्रस्तावित चार दिवसीय कार्य सप्ताह मॉडल – 4 दिन के कार्य सप्ताह संबंधी नियम और शर्तें क्या हैं?
सुर्खियों में क्यों?
जहां सरकार नई श्रम संहिता के लिए नियमों को अंतिम रूप दे रही है, वहीं श्रम मंत्रालय, अब कंपनियों को पांच या छह के बजाय चार कार्य दिवसों के लिए तन्यकता प्रदान करने पर विचार कर रहा है।
वर्तमान संदर्भ:
- केंद्र सरकार ने 29 मौजूदा श्रम कानूनों को चार संहिताओं के साथ प्रतिस्थापित करने का प्रस्ताव दिया है।
- इसका उद्देश्य श्रम विनियमन को सरल और आधुनिक बनाना है।
- श्रम सुधारों में प्रमुख चुनौती श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करते हुए रोजगार वृद्धि को सुविधाजनक बनाने की है।
क्या है प्रस्ताव?
- श्रम और रोजगार सचिव ने कहा कि प्रस्तावित नई श्रम संहिता एक सप्ताह में कंपनियों को चार कार्यदिवस की तन्यकता प्रदान कर सकती है, यहां तक कि एक सप्ताह के लिए काम के 48 घंटे की सीमा श्रमसाध्य मानी जायगी।
- इसका तात्पर्य यह है कि अगर काम के दिन कम कर दिए जाते हैं तो काम के घंटे अधिक होंगे।
- उदाहरण के लिए, चार दिवसीय कार्य सप्ताह को 48 घंटे के साप्ताहिक कार्य घंटों को पूरा करना होगा, जिसके परिणामस्वरूप 12 घंटे की दैनिक शिफ्ट होगी, जो पांच या छह-दिवसीय कार्य सप्ताह होने पर तदनुसार घट जायगी।
इसे कब और कैसे शुरू किया जायगा?
- श्रम संहिता के नियमों में चार दिवसीय कार्य सप्ताह सुनिश्चित करने के लिए लचीलेपन के प्रावधान का मतलब होगा कि कंपनियों को इसे लागू करने के लिए पूर्व सरकारी अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।
- हालांकि, श्रम सचिव ने स्पष्ट किया कि कार्य दिवसों की संख्या कम होने का मतलब भुगतान की जाने वाली छुट्टियों में कटौती नहीं है।
- इसलिए, जब नए नियम चार कार्यदिवस का लचीलापन प्रदान करेंगे, तो इसका मतलब होगा कि इसमें अवकाश के तीन दिनों का भुगतान भी शामिल होगा।
- “यह (कार्य दिवस) पांच दिन से नीचे आ सकता है। यदि यह चार दिवसीय है, तो आपको तीन दिन अवकाश का भुगतान प्रदान किया जायगा; और यदि यह सप्ताह में सात दिवसीय है, तो इसे 4, 5 या 6 कार्य दिवसों में विभाजित करना होगा।
- नियम बनाने की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है और आने वाले सप्ताह में पूरी होने की संभावना है।
- “सभी हितधारकों से नियमों के निर्धारण में सलाह ली गई है। मंत्रालय जल्द ही इन चार संहिताओं यानी – मजदूरी, औद्योगिक संबंधों, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य व काम करने की स्थिति (OSH) और सामाजिक सुरक्षा पर संहिता को लागू करने की स्थिति में होगा।
- श्रम मंत्रालय ने इस साल चारों श्रम संहिताओं को एक अप्रैल से एक बार में ही लागू करने की परिकल्पना की थी।
- मंत्रालय 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को मजदूरी, औद्योगिक संबंधों, सामाजिक सुरक्षा और OSH पर चार व्यापक संहिता में समाहित करने के अंतिम चरण में है।
- मंत्रालय एक बार में चारों संहिताओं लागू करना चाहता है।
लाभ:
- जबकि कर्मचारी पूरे दिन की छुट्टी पाने या प्रति सप्ताह 3 दिन की छुट्टी पाने के विचार से खुश होंगे, यह सारिणी नियोक्ताओं के लिए भी फायदेमंद होगी।
- कर्मचारियों को अवकाश गतिविधियों पर खर्च करने और अपने साप्ताहिक दबाव से उबरने के लिए एक पूरा अतिरिक्त दिन मिलेगा। जबकि नियोक्ताओं के लिए, यह लागत बचाने की संभावना है क्योंकि कार्यालयों के किराये कम हो जाएंगे और उनके पास अधिक सक्रिय और उत्पादक कर्मचारी बल होगा।
- इसका फायदा सूचना प्रौद्योगिकी और साझा सेवाओं जैसे क्षेत्रों को भी होगा। बैंकिंग और वित्तीय सेवा उद्योग में, 20-30% लोग चार या पांच दिनों के लिए लंबे समय तक काम करने वाले टेम्पलेट का उपयोग कर सकते हैं और लंबे समय तक ब्रेक का आनंद ले सकते हैं।
- मानव संसाधन और वित्त ऊर्ध्वाधर जैसे प्रोफाइल आसानी से इस तरह के अभ्यास को तेजी से अपना सकते हैं।
- विदेशी फर्म इसे अपनाने वालों में पहले होंगे क्योंकि इसके माध्यम से एक ओर यह उनके रियल-स्टेट व्यय को कम करेगा और दूसरी ओर श्रमिकों की उत्पादकता में सुधार करेगा।
हानि:
- 4 दिनों के कार्य सप्ताह की अवधारणा काफी समय से चर्चा में है। जर्मनी में यह बहस शुरू हो गई है जहां पहले से ही एक सप्ताह में मात्र 34.2 घंटे (सबसे कम) कार्य निर्धारित किया गया है। कई कंपनियों ने इस अवधारणा के साथ प्रयोग किये हैं।
- 5-दिवसीय कार्य संस्कृति अधिक प्रभावी है और कार्यस्थल पर बेहतर उत्पादकता में योगदान करती है। चूंकि कार्य दिवसों में कमी बढ़े हुए काम के घंटों की संख्या में परिणत होगी, इसलिए यह कर्मचारियों के लिए अधिक बोझ का काम करेगा।
- काम की बढ़ी हुई समयावधि कर्मचारियों की तनाव स्तर को बढ़ायेगी और परिणामस्वरूप कार्य उत्पादकता में कमी आयगी।
- साथ ही, 4 दिनों की कार्य संस्कृति को विभिन्न क्षेत्रों के कामकाज और प्रकृति के अनुसार ही लागू किया जा सकता है।
- विनिर्माण क्षेत्र, सेवा क्षेत्र, आदि जैसे क्षेत्र उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं और माँग को पूरा करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं। 5 दिनों के कार्य सप्ताह का आउटपुट और परिणामों पर बेहतर प्रभाव पड़ता है।
- कुछ कार्यस्थलों में 4 कार्य दिवस हैं और कुछ में 5 हैं, इससे कामकाज में अराजकता पैदा हो सकती है। यदि हम जिस संगठन में अपनी सेवाएँ देते हैं, में 5 कार्य दिवस हैं और इसके विपरीत, हमारे 4 कार्य दिवस हैं, तो समय सारिणी में सामंजस्य बिठाना मुश्किल होगा।
- 4 कार्य दिवस का मतलब है कि सप्ताह के 57% हिस्से में काम होगा जबकि 43% छुट्टी के रूप में प्राप्त होगा। कुछ लोगों के लिए इतनी जल्दी इसे अपनाना मुश्किल हो सकता है। इसके साथ बने रहने के लिए कई अन्य कार्य / शेड्यूल में बदलाव करने होंगे, हो सकता है जिनमें से कुछ संभव भी न हों।
अन्य देश का उदाहरण:
- 2008 में, यूटा राज्य सरकार के कर्मचारियों ने सोमवार से गुरुवार तक दस-घंटे काम करना शुरू कर दिया।
- गाम्बिया में, राष्ट्रपति याह्या जाममेह द्वारा सार्वजनिक अधिकारियों के लिए एक चार दिवसीय कार्य सप्ताह की शुरुआत की गई है, जो प्रभावी रूप से निवासियों को प्रार्थना और कृषि के लिए अधिक समय प्रदान करता है।
निष्कर्ष:
कर्मचारियों को आराम प्रदान करने के लिए यह, सरकार द्वारा उठाए गए बहुत ही सुखद कदमों में से एक है। इसके कार्यान्वयन से श्रमिक निश्चित रूप से अधिक ऊर्जा के साथ काम करेंगे, लेकिन प्रबंधन को अस्पताल और चिकित्सा क्षेत्र के बारे में भी सोचना होगा, जिन्हें सार्वजनिक सेवा के लिए 24 * 7 कार्य करने की आवश्यकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कॉर्पोरेट संस्कृति इस नए कार्य मॉडल को कैसे अपनाती है, और यह भी कि यह फलदायी होगी या नहीं।
मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न:
भारत ने हमेशा नियमों और विनियमों का उल्लंघन देखा है जब भी मजदूरों के अधिकारों की बात आई है। ऐसे परिदृश्य में सरकार द्वारा 4 दिवसीय कार्य सप्ताह का कदम फलदायी हो सकता है, लेकिन इसमें कई चुनौतियां भी हैं। व्याख्या करें। (200 शब्द)